होली

होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
होली, रंगों का त्यौहार है। इस त्यौहार को वसंत ऋतु का आगमन और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व भगवान् श्री विष्णु के चौथे अवतार श्री नृसिंह एवं उनके प्रिय भक्त प्रह्लाद से प्रेरित है।

प्राचीन काल में एक क्रूर राजा हिरण्यकशिपु हुआ करता था, जिसने पृथ्वी के सभी राज्यों पर विजय प्राप्त की थी। अपने अहंकार के कारण उसने अपने राज्य में सभी को अपनी ही पूजा करने का आदेश दिया। किन्तु उसका पुत्र प्रह्लाद, श्री हरि का सच्चा भक्त था अतः उसने अपने पिता का आदेश मानना अस्वीकार कर दिया। इसी कारण हिरण्यकशिपु ने कई बार अपने पुत्र को मारने का प्रयास किया, किन्तु हर बार भगवान् श्री विष्णु ने प्रह्लाद को बचा लिया। अंत में हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद के साथ अग्नि में प्रवेश करने का आदेश दिया, क्योंकि होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था। परन्तु होलिका को यह नहीं पता था की वरदान तभी काम करता है, जब वह अकेले आग में प्रवेश करे। कुमार्ग पर पैर रखते ही प्राणी के शरीर में तेज तथा बुद्धि एवं बल का लेश मात्र भी नहीं रह जाता। इसीलिए होलिका खुद जलकर भस्म हो गयी और प्रह्लाद भगवान् श्री विष्णु के प्रति अत्यधिक भक्ति के कारण सकुशल बाहर आ गए। इस प्रकार, होली शब्द होलिका से लिया गया और इसे बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाया जाता है।

होलिका दहन के दिन पवित्र अग्नि जलाई जाती है जिसमे सभी तरह की बुराई, अहंकार और नकारात्मकता को जलाया जाता है। अगले दिन अपने प्रियजनों को रंग लगाकर होली की शुभकामनाएँ देते है।

होली – रंगों का त्योहार

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