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सत्य का प्रकाश
सत्य का प्रकाश
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सत्य का प्रकाश (सत्यार्थ प्रकाश) आर्य समाज आंदोलन के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा लिखी गई एक क्रांतिकारी पुस्तक है। यह मौलिक कार्य सदियों पुराने अंधविश्वासों, अनुष्ठानों और सामाजिक रीति-रिवाजों को चुनौती देता है, तथा वैदिक सिद्धांतों की ओर लौटने को बढ़ावा देता है। यह तर्कसंगत सोच, आत्म-सुधार और ज्ञान की खोज को प्रोत्साहित करता है तथा शिक्षा, समानता और न्याय की वकालत करता है। धार्मिक हठधर्मिता की अपनी स्पष्ट और निर्भीक आलोचना के साथ, सत्य के प्रकाश ने लाखों लोगों को सत्य, नैतिक अखंडता और आध्यात्मिक ज्ञान के मार्ग की तलाश करने के लिए प्रेरित किया है।
प्रमुख विशेषताऐं:
- वैदिक शिक्षाओं का गहन अन्वेषण और दैनिक जीवन में उनका अनुप्रयोग
- सामाजिक बुराइयों और अंध विश्वास की आलोचना
- तर्कसंगतता, शिक्षा और आत्म-सुधार पर जोर
- सत्य, समानता और न्याय पर आधारित जीवन जीने के लिए एक मार्गदर्शिका
यह पुस्तक उन लोगों के लिए आवश्यक है जो आर्य समाज की मूल शिक्षाओं और आधुनिक समय में वैदिक ज्ञान की प्रासंगिकता को समझना चाहते हैं।
