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Dharmkshetra | धर्मक्षेत्र
श्री राधा-माधव-चिंतन
श्री राधा-माधव-चिंतन
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श्रीराधा-माधव-चिंतन ग्रन्थ रूप - यह नित्यलीलालीन पूज्य भाई श्री हनुमान प्रसादजी पोद्दार द्वारा रचित एक अद्वितीय ग्रन्थ-रत्न है। इसमें श्रीराधाकृष्ण का अलौकिक प्रेम श्रीराधामाधव-चिंतन के रूप में अभिव्यक्त हुआ है। यह ग्रन्थ रूपी रत्न भक्ति और शास्त्रीय चिंतन के अद्भुत समन्वय से सात अध्यायों में विभक्त है। श्रीराधा, श्रीकृष्ण, श्रीराधा-माधव, भावराज्य-लीला-रहस्य, प्रेम-तत्त्व, गोपांगना और प्रकीर्णा - ये सात प्रकरण मोक्ष के सात चरणों के रूप में भगवत्-तत्त्व का सार प्रस्तुत करते हैं, जो हृदय को आनंदित करने वाला है। यह ग्रन्थ साधकों, भक्तों, व्रज-रस-रसिकों के लिए नित्य स्वाध्याय और संग्रह का विषय है।
- पुस्तक का शीर्षक : श्रीराधा-माधव-चिंतन
- लेखक : नित्यलीलालिन पूज्य भाई श्री हनुमान प्रसादजी पोद्दार
- सामग्री :
- श्री राधाकृष्ण के अलौकिक प्रेम को व्यक्त करता है
- श्री राधा माधव-चिंतन के रूप में प्रस्तुत
- संरचना :
- सात अध्यायों में विभाजित
- भक्ति और शास्त्रीय सोच का संयोजन
- अध्याय :
- श्री राधा
- श्री कृष्ण
- श्री राधा-माधव
- भावराज्य-लीला-रहस्य
- प्रेम-तत्त्व
- गोपांगना
- प्रकीर्ण
- विषय :
- मोक्ष के सात चरणों में भागवत-तत्त्व का सार प्रस्तुत किया गया है
- हृदयस्पर्शी एवं गहन
- इसके लिए अनुशंसित :
- दैनिक स्व-अध्ययन
- साधक, भक्त और व्रज-रस-रसिक
